Tuesday, May 11, 2010

मुझको किसी से नफरत नहीं है

मुझको किसी से नफरत नहीं है ,
इतना आवार हूँ कि फुर्सत नहीं है ।
प्यार की कुर्बानी गिना रहे हो,,
कहते क्यूँ नहीं कि हिम्मत नहीं है ।।


हुस्न के बाजार मे दिल का ये हाल है,
हीरा है फिर भी कोई कीमत नहीं है।
छुपाती हैं आंखें कई गम अपने अंदर,
खुशी किसी चेहरे की हकीकत नहीं है।


कह तो दिया तुम दोस्त हो अच्छे,
वो हम कैसे कहें कि मोहब्बत नहीं है ।

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इश्क किया चीज़ है ख़बर न थी हमको

इश्क किया चीज़ है ख़बर न थी हमको अब ग़ालिब तेरे शहर ने जीना सिख़ा दिया