मेरी नज़र
Thursday, November 30, 2023
इश्क किया चीज़ है ख़बर न थी हमको
इश्क किया चीज़ है ख़बर न थी हमको
अब ग़ालिब तेरे शहर ने जीना सिख़ा दिया
मैंने तो अकेले ही की थी मोहब्बत
खुदा बख्शे गुनाह उसके सारे।।
मुझे भी उसने इश्क़ का शाहिद बना दिया।।
मैंने तो अकेले ही की थी मोहब्बत।।
उसने भी करके इसे इश्क़ बना दिया।।
ले ज़न्नत भी छोड़ दी मैंने तेरी ख़ातिर
ले ज़न्नत भी छोड़ दी मैंने तेरी ख़ातिर।।
बता कोन-कोन से इम्तिहान से गुज़रना है मुझे।।
कमसिन होती है ये जुबा, हर जुबा पर आएगी उर्दू
कमसिन
होती
है
ये
जुबा
हर
जुबा
पर
आएगी
उर्दू
जरुरी
नही
की
सीखी
जाए
ये
जुबा
इश्क
किसी
से
कीजिए
हर
शब्द
मै
जलख
जाएगी
उर्दू
।
हर
गुनाह
मै
भी
करता
हु
उसकी
इबादत
की
जहन्नुम
से
भी
निकलते
है
खुदा
बाले
गैर
नहीं
अपने
आजमाए
है
हमने
गुलास्ता
फूलो
का
चुभन
काटो
की
है
जिसमे
हम
उम्र
है
तेरा
काधा
मेरे
काधे
सा
जलते
हैं
हम
वतन
भी
मेरी
चाहत
से
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