Wednesday, April 11, 2012

मेरे दुश्मनों से मेरी दोस्ती हो गई


मेरे दुश्मनों से मेरी दोस्ती हो गई
उम्र छोटी थी मेरी बड़ी हो गई
वक्त बदलने लगा मेरा भी
सफर में अकेला था किसी से दोस्ती हो गई
चाहत जागी दिल में उनसे मिलने की
देखा उनकी रुखसती हो गई
बेघर ,परवाना मुसाफिर बन गया मुस्तकीम
अब तो जीवन में दोस्तों की भी कमी हो गई

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इश्क किया चीज़ है ख़बर न थी हमको

इश्क किया चीज़ है ख़बर न थी हमको अब ग़ालिब तेरे शहर ने जीना सिख़ा दिया