Wednesday, November 16, 2011

मेरी हर गजल दिवानी तेरी



मेरी हर गजल दिवानी तेरी
तुझसे शुरु. तुझपे खत्म कहानी मेरी
तेरी इबादत से ...... जिंदगानी मेरी
करु क्या अब में.. किस्सा तेरा बयां
मेरे लबों पर है.... सिर्फ कहानी तेरी
मेरे दिल में जिक्र हेमशा तेरा
मेरी तो बस .....मेरी कहानी मेरी
दरों शहर तेरा.....अजनबी में
तेरे दर पर खत्म कहानी मेरी
तलब क्या करु तुझसे ......
मेरी हर गजल दिवानी तेरी


इश्क किया चीज़ है ख़बर न थी हमको

इश्क किया चीज़ है ख़बर न थी हमको अब ग़ालिब तेरे शहर ने जीना सिख़ा दिया